भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धमनी हाट / द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 19 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=द्वारिका प्रसाद तिवारी 'विप्र' }} {{K...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे
धमनी के हाट मा, बोईर तरी रे
लकर धकर आये जोही, आंखी ला मटकाये
कइसे जादु करे मोला, सुक्खा मा रिझाये
चूंदी मा तैं चोंगी खोचे, झूलूप ला बगराये
चकमक अउ सोल मा, तैं चोंगी ला सपचाये
चोंगी पीये बइठे बइठे, माडी ला लमाये
घेरी बेरी देखे मोला, हांसी मा लोभाये
चना मुर्रा लिहे खातिर, मटक के तैं आये
एकटक निहारे मोला, बही तैं बनाये
बोइर तरी बइठे बइहा, चना मुर्रा खाये
सुटूर सुटूर रेंगे कइसे, बोले न बताये
जात भर ले देखेंव तोला, आंखी ला गडियाये
भूले भटके तउने दिन ले, हाट म नई आये
तोला देखे रेहेंव गा, हो तोला देखे रेहेंव रे