कृषि व संस्कृति / रामफल चहल
शिवजी का नन्दी मांग्या और यम का मांग लिया झोटा
सोन्ने का हल कुरू नै जोड़या खेती का कर्या मेळ मळोटा
पांच योजन के क्षेत्र म्हं सत् तप दया क्षमा सी चीज बो दिए
दोनों भुजा काट कै आपणी दान योग धर्म के बीज बो दिए
सरस्वती के कंठारे पै विष्णु का ले कै नै आशीष बो दिए
नैतिकता और ब्रह्मचर्य अपणा कै वैदिक धर्म पै रीझ बो दिए
न्यूं कृषि की शुरूआत हुई प्रजा का काढ़ दिया टोटा......................1
कृषि संस्कृति साथ चलैं या बात म्हारी समझ मैं न्यूं आई
ऋृग और साम वेदों की रचना सुरस्ती कंठारै बतलाई
सांख्य दर्शन रचया कपिल मुनि नै सीफर रूप मैं बिंदी लाई
पाणिनी नै रची व्याकरण भाषा की आत्मा जो बतलाई
कई पुराण भी रचे यहीं पै जिनमैं ज्ञान दे दिया सब तैं मोटा.........2
द्वापर के म्हां कुरूक्षेत्र मैं ए गीता का उपदेश दिया था
तात गुरू सगे रण म्हं देख कै कांप्या जब अर्जुन का हिया था
मोह न छोड़ कर्म करले खुद कृष्ण न रथ हांक लिया था
मर जाता तो सुरग मिलै था रहया जींवता तो राज किया था
धर्म की रक्षा की ,खातर कई अक्षौणी दल का गळ घोट्या............3
जब कृषि संस्कृति साथ चलैं थी संस्कृति मैं क्यूं आज पिछड़ग्ये
कविसर जोगी भजनी शब्दी अर सांगी म्हारे कती बिछड़ग्ये
इब कट्ठे करां दुबारा उन्हैं जो साज बाज म्हारे रेत म्हं रलग्ये
देशी सांग तमाशे करूं दुबारा जो इतिहास मैं दब कै गलग्ये
ना बड्डी बात कदे करता ’चहल’ यो माणस सै कती ए छोटा........4