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तर बहु गँगा, उपर बहु जमुना / मैथिली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

तर बहु गँगा, उपर बहु जमुना, बिचे बहु सरस्वती धार गे माई
ताही ठाम शिवजी पलंग बिछाओल, जटाके देलखिन छिरिआई गे माई

फुल लोढ गेलनी गौरी कुमारी, आँचर धय लेल बिल माई गे माई
छोरु छोरु आहे शिव मोरे आँचरवा, हम छी बारी कुमारी गे माई

बाबा मोरा सुन्ता हाती चढि ऐता, भैया बन्दुक लय देखावे गे माई
अम्मा सुनती जहर खाय मरति, भावी मोरा खुशी भय बैसती गे माई

सेहो सुनी शिवजी सिन्दुर बेसाहल, गौरी बेटी राखल बयाही गे माई