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मायाजाल / प्रताप सहगल

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गुफाओं में प्रवेश करना
बहुत मुश्किल होता है
द्वार पर
कई-कई रंगों की लगी साँकलें
प्रवेश रोकती हैं
संभ्रम का प्रभामंडल होता है आसपास
टूटती हैं साँकलें कभी-कभी
फिर मिलते हैं
कई-कई द्वार
कौन सा द्वार
कहाँ ले जाए
कुछ भी अनुमान नहीं होता पहले से।
प्रवेश के बाद भी
कई-कई द्वार
और कई-कई साँकलें
द्वारों की चौखटों के नीचे दबे
स्वप्नों का रंग झलकता है
पकड़ में नहीं आता
स्वप्न-दृश्य
और द्वारों के बीच खुलने लगते हैं
और और द्वार
द्वारों के मायाजाल में फँसा
आदमी क्या करे