मैं उनके साथ नहीं हूँ जिन्होंने
शत्रुओं की यंत्रणाओं के हवाले कर दी है यह भूमि
मैं उनकी चापलूसी के झाँसे में नहीं आऊँगी
उनके हाथों में नहीं सौंपूँगी अपने गीत।
कैदी की तरह, रोगी की तरह
हर निर्वासित लगता है मुझे दयनीय,
ओ यायावर, अंधकार से भरी है तुम्हारी राह
कसैला तो लगेगा ही दूसरों की रोटी का स्वाद।
यहाँ आग के बेआवाज धुएँ में
शेष बचे यौवन का गला घोंटते हुए
एक भी प्रहार का मुँहतोड़ जवाब
दे नहीं पाए हम आज तक।
मालूम है हमें कि विलंबित मूल्यांकन में
न्यायसंगत ठहराया जाएगा हर पल...
पर दुनिया में कहीं भी नहीं हैं ऐसे लोग
जो हमसे अधिक हों अक्खड़, अश्रुविहीन और सरल।