एक तरंग
समंदर से, आकाश से, धरती से
बहुत गहरी बहुत फैली, बहुत ऊँची
सीमाहीन, अदृश्य, नि:शब्द,
विशाल ब्रह्मांड में
न चाहकर, न जानकर
जोड़ती है
किन्हीं दो साकार
पर अस्तित्वहीन को
चुपचाप
अपनी सत्ता में कहीं।
एक तरंग
समंदर से, आकाश से, धरती से
बहुत गहरी बहुत फैली, बहुत ऊँची
सीमाहीन, अदृश्य, नि:शब्द,
विशाल ब्रह्मांड में
न चाहकर, न जानकर
जोड़ती है
किन्हीं दो साकार
पर अस्तित्वहीन को
चुपचाप
अपनी सत्ता में कहीं।