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कविता मेरे लिए / प्रताप सहगल

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मैं कविता रचता हूं
चन्द लोग पढ़ते हैं उसे
हज़ारों साल पहले
रची थी कविता
कालिदास ने
कितने लोगों ने
आज तक भी पढ़ा उसे।
कविता भीड़ नहीं
आदमी तैयार करती है
कविता चमड़ी पर नहीं
दिल पर मार करती है
इसलिए
कविता को ज़िंदा रखना
ज़रूरी है यारो
इसीलिए मैं कविता को
प्यार करता हूं।
जीता हूं संग इसके
इसी के संग मरता हूं।

1985