भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इतियास / अर्जुनदेव चारण

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:58, 15 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ओ क्यूं होवै मां
थारी जूण रा
पगोतिया चढतौ इतियास
चांणचक
होय जावै पांगळौ
अर
म्हनै लाधै
तालर/झाळां झिलियोड़ौ

म्है कीकर बाचूं
ओ अधूरौ इतियास
इण मांय
थारी जूण तौ है ई कोनी