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कबन्ध / अर्जुनदेव चारण
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उणरै आंखिया होवै
हियै मांय
माथौ नीं होवै
बाढ देवां उणनै
हथळेवौ जोड़ती बेळा
वा लड़ती रैवै
आखी जूंण
एक जुध
पण उणनै
कोई
कबन्ध नीं कैवै