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अकथ कथा / प्रमोद कुमार शर्मा

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जठै उगणौ हो
रूंख
वठै नीं ही जमीन !
अर जठै ही जमीन
वठै तांई नीं पूग्यौ बीज !
बस्स !
अठै ही खतम हुवै आ अणकथ कथा
ऐक पेड़ रै उगण री।