Last modified on 16 अक्टूबर 2013, at 23:34

दादोसा रो उणियारो / मदन गोपाल लढ़ा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:34, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दादोसा कैंवता
गाछ आपणा सागड़दी है।

बाखळ में
बरसां सूं खड्यो
बूढ़ियो नीम
अर वीं री छिंया में
माची ढ़ाळ‘र बैठ्या
दादोसा
जाणै करता गुरबत।

दादोसा री ओळूं रो
पड़तख रूप्
नीम रो बूढ़ो दरखत
आपरी छिंया रै मिस
म्हारै सिर माथै
हाथ फेरै।

म्हैं जोवूं नीम में
दादोसा रो उणियारो।