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छोरी: एक / मदन गोपाल लढ़ा

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छोरी
मुळकै है
आरसी में देख‘र
आपरो उणियारो
अर फेर
देख‘र आपरी छिंया
हुय जावै उदास
अर गिणै
आपरी उमर रा बरस
जोख‘र
आपरो काण-कायदो
छोरी
सोधती रेवै
आपरै हुवणै रो सांच।