भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टाबर भगवान हुवै ! / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:39, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
टाबर अणजाण हुवै
रीत-कायदो
कद जाणै!
टाबर नासमझ हुवै
दुनियांदारी
कांई समझै!
टाबर भोळो हुवै!
टाबर भगवान हुवै!!