भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 1 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:13, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
छात पर चढ़‘र
हेलौ मारदयौ
कोई नीं सुणै
छात रै लटक ज्यावौ
सगळौ गांव
भेळौ हुज्यै।