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ऊजड़ चूल्हां री राख / रामस्वरूप किसान

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गांव रै पगाणै
एक गांव
उठाऊ गांव
जकौ का‘ल उतरयौ
अर आज लदग्यौ

नीं उतरती बेळा मनवार
नीं लदती बेळा
आंख हुयी
गीली किणीं री

पण, ऊजड़ चूल्हां री
राख उडांवतौ बायरौ
भटकतौ विजोगी-सो लागै।