भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 7 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
म्हैं जद
टाबरां नै
ऐकला छोड‘र
गांव-गांवतरै जावूं
म्हारी छात
म्हारी छाती पर रैवै।