Last modified on 17 अक्टूबर 2013, at 14:12

घर में रमती कवितावां 7 / रामस्वरूप किसान

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

म्हैं जद
टाबरां नै
ऐकला छोड‘र
गांव-गांवतरै जावूं
म्हारी छात
म्हारी छाती पर रैवै।