भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घर में रमती कवितावां 20 / रामस्वरूप किसान
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:38, 17 अक्टूबर 2013 का अवतरण
एक दिन
बादळ गाज्यौ
विरहणी छात
आंगणै री
छाती पर
आंसूं गेरया
छाती फलफलागी।