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बिरछा-बिरछा तोता बोलया / पंजाबी

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पंजाबी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

'बिरछा-बिरछा' तोता बोलया

'इक्के तेरी जिमीं भैड़ी

इक्के तेरा मुड्ढ पुराणा ।'

न मेरी जिमीं भैड़ी

न मेरा मुड्ढ पुराणा ।

इक्के खादा नवाब दीयाँ डाचियाँ

इक्के शतीर कप्प खड़े तरखाणां

तरखाणां दे मरण बच्चड़े

वण ढुक्क ढुक्क मकाणां

मरण नवाब दीयां डाचिया

नाले आपूं मरे नवाब सियाणा!


भावार्थ

(--'वृक्ष ओ वृक्ष'--तोता बोला

'एक तो तेरी भूमि बुरी है

दूसरे तेरा तना पुराना है ।'

न मेरी भूमि बुरी है

न मेरा तना पुराना है ।

एक तो मुझे नवाब की ऊँटनियाँ खा गईं

दूसरे बढ़ई शहतीर काट ले गए

बढ़ईयों के बच्चे मर जाएँ

उनके सम्बन्धी मातमपुर्सी को आएँ

नवाब की ऊँटनियाँ मर जाएँ

और वह सयाना नवाब ख़ुद भी मर जाए !')