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चानणों / श्याम महर्षि

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ऊगतै सूरज रो उजास
नूंतै म्हनै
इण सूं घणौ अळगौ नीं हैं
हियै रो चानणौं,
चानणै रा मग्गर
जोंवतो-जोंवतो
व्हीर हुयग्यो उण रै लारै
इण खातर कै
कदास करूं गिंगरथ उण सूं,
चानणौ
बावड़‘र कदैई
नीं जोयो म्हनैं
पण
चानणै रो मुहण्डो
जोवणै खातर
बगतो रैया हूं उणरै लारै
लगोलग,
पांवडा-दर-पांवडा
बगतां थकां
ओज्यूं तांई दिखै फकत
उण रा मग्गर
ठा नीं कद दिखैलो उण रो
ऊजळो मुहण्डो,
चानणै लारै बगणौ
अर चानणै रो
मुंहडो जौवणों
म्हरौ धरम है।