भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गै‘लो / श्याम महर्षि
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:05, 18 अक्टूबर 2013 का अवतरण
गैलौ टाळर बगणौ
कै
गैलै-गैलै बगणौ
न्यारा-न्यारा मिनखां री
न्यारी-न्यारी समझ है,
गैलो पूछणियां अर
गैलो बतावणियां
नूंवो गैलो नीं बणाय सकै,
नीं कर सकै बै
अबखायां रो सामनौ,
गैले री सीध पाड़नियां
अर नूंवो गैलो
बणावणिया लोग
गैलो नीं पूछै दूजां नैं,