भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मेळो / शिवराज भारतीय

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:03, 20 अक्टूबर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टाबरिया नै भावै मेळो
झालो दै‘र बुलावै मेळो।

खेल तमासा खील पतासा
झुंझणिया ले आवै मेळो
लोग-लुगाई टाबर सैं‘नै
सालो-साल बुलावै मेळो।

भांत-भांत री सरकस आवै
बांदर-भालू खेल दिखावै
जोकर हांसै और हंसावै
हींडा खूब हींडावै मेळो।

ढ़ोल ढ़माका मेळौ ल्यावै
अळगोजां री राग सुणावै
टाबरियां रो जी बिलमावै
मेळ-मिळाप करावै मेळो।

गीत गांवता जातरी आवै
देई-देव री धोक लगावै
नारेळ धजा परसाद चढ़ावै
मिनखा नै हरखावै मेळो।

टाबरियां नै भावै मेळो।
झालो दे‘र बुलावै मेळो।