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क्यांरी सावण तीज / शिवराज भारतीय

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हींडोळा सूना पड़या, सूनी तिजणियां
बिन बिरखा उपजै नही, मीठी रागणियां

टीबड़ियां झळ नीसरै, पगल्या नावै सीज
लू सूंसावै नाग ज्यूं, क्यांरी सावण तीज

टप-टप परसेवो पड़ै, गाभा जावै भीज
बरस्या कोनी रामजी, आई सावण तीज

हाथी होदां बैठनै, सजधज चाली तीज
बिन बिरखा फीकी लगै, पचरंग संवरी तीज

सूना-सूना मगरिया, सूना सरवर ताळ
बिन-बिरखा रै रामजी, सूनी सगळी जाळ

रेतां न्हाती चिड़कल्यां, हर सूं करे पुकार
मिरगा पीया घालदे, तिरसांतो ना मार

मूंडै फेफी आयगी, जो‘जो बिरखा बाट
बरसैलो जद सांवरो, बावड़सी सै ठाट

दिनभर तासां पीटता, कटसी कियां साल
कारू सै बेला हुया, सीख्या नूवां ख्याल

जेठ उकळतो नीसरयो, तिरसांतो आसाढ़
सावण आवण ढूकीयो, अब तो बिरखा काढ़

ऊपर इन्दर रूसियो, अमरिन्दर पंजाब
रूडै़ राजस्थान नै, पाणी दियो जबाब

उठती देखी बादळी, हिवडै़ हरख अपार
थां पर लादया गूदड़ा, थूं ई काळ बिसार