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सभका के देलऽ रामजी अनधन सोनवा / महेन्द्र मिश्र
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सभका के देलऽ रामजी अनधन सोनवा
बनवारी हो हमरा के लरिका भतार।
लरिका भतार ले के सुतली अँगनवा।
बनवारी हो रहरी में बोलेला सियार।
सियरा के बोली सुनी जागेला बलमुआँ
बनवारी हो रोई-रोई करेला हँकार।
चुप-होखु चुप होखु नन्हका बलमुआँ
बनवारी हो तोहे देबों मोतियन के हार।
खोले के त चोली बंद खोलेला केवांरी
बनवारी हो जरि गइले एड़ी से कपार।
कहत महेन्दर हम पुरूब में चुकलीं
बनवारीं हो इहे विधि लिखलें लिलार।