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पेड़ों ने जो रचीं ऋचाएँ / कुमार रवींद्र

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बच्चो !
तुमने सुनी आरती - पक्षी गाते
 
पहले ऊषा-गान
सूर्य की फिर स्तुतियाँ
उनके लिए
सुनो, पावन हैं सारी तिथियाँ
 
पेड़ों ने जो
रची ऋचाएँ - वही सुनाते
 
महामंत्र खुशबू के
याद सभी हैं उनको
और जानते वे
धरती मइया के गुन को
 
उसकी महिमा
धूप- छाँव के सँग दोहराते
 
किसिम-किसिम की
प्रार्थनाएँ उनको आती हैं
महापर्व रचतीं ऋतुएँ
उनको गाती हैं
 
मंदिर-मस्जिद
दोनों में वे नीड़ बनाते