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मर्जी / इमरोज़ / हरकीरत हकीर

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कोई नज़र में है
अभी तो अपना आप ही
नज़र में है
और अपना आप
अपनी मर्जी का बन रहा है
कितना नया ख्याल है
और कितना जरुरी भी
किस तरह मिलोगी
जैसे आज मिल रही हूँ
तेरा नाम
मर्जी...