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कादम्बरी / पृष्ठ 87 / दामोदर झा

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1.
विनु सूचित कुमार अयला घर सुनिते उठला नृपति चेहाय
हर्ष विवश बाहर दिशि बढ़ला आनन्दाश्रु शरीर नहाय।
देखल चन्द्रापीड़ दूरसँ राखल दौड़ि चरण पर माथ
लगले राजा पकड़ि उठओलनि हृदय लगाक कयल सनाथ॥

2.
पूछल कुशल छम गदगद स्वर हाथ पकड़ि अनलनि दरबार
बहुत नेह लगमे बैसओलनि पीठ धरथि कर बारंबार।
कहलनि चन्द्रापीड़ विजयमे जतय जतय भेल बड़का मारि
जे जे अपन वीर बड़ जूझल जे नृप मानल अपनहि हारि॥

3.
सुनि उठला नृप हिनका सङ लय अयला रानी केर आवास
माता मुदित चुमाओन कयलनि करथि निछाउरि भूषण वास।
आग्रह कय जलपान करओलनि चलल कुमर शुकनास निवास
मन्त्रीके प्रणाम कय लगले मनोरमाके देल हुलास॥

4.
वैशम्पायन सेना सङमे अओता कहलनि सबहिं प्रणाम
ई कहि चलला अपना घर ओ कयलनि जाय ततय विश्राम।
किन्तु विकल मन चैन न पाबथि सब साधन नीरसे लखाय
मन बान्हल छल हेमकूट पर तनु इन्द्रियसँ शून्य बुझाय॥