भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कादम्बरी / पृष्ठ 118 / दामोदर झा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:17, 31 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दामोदर झा |अनुवादक= |संग्रह=कादम्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
1.
चन्द्रापीड़क मित्र नाश कय अति चिन्तित भय गेले
ततय महाश्वेता निशि वासर सोचथि लज्जित भेले।
अओता राजकुमार कथा सबटा तँ सुनबै करता
की कहि धैर्य देब हुनका ओ हमरो धैरज हरता॥
2.
कादम्बरी एतय अवसरपर ताहि दिवस जँ रहितय
हमतँ रहब अवाक लाजसँ ओ हुनका समुझबितय।
एतबा सोचि तरलिका मुहसँ ई संवाद पठओलनि
आउ अहाँ जल्दी उत्कण्ठित मन अछि बात बनओलनि॥
3.
कहि संवाद तरलिका गेलै ई उल्लासित भेले
छली बहाना तकिते भेटलनि मारग जयबा लेले।
पहिनहि कहने छलनि पत्रलेखा केयूरक हिनका
चन्द्रापीड़ सभय ई कहलनि मोने हेतनि तनिका॥