Last modified on 14 नवम्बर 2013, at 11:07

पत्ते और भाव / सुभाष काक

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:07, 14 नवम्बर 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

के शब्द पत्ते
और मुस्कान
फूल हैं।

शब्दों से अन्य पेड़
बँधते हैं‚
पक्षी और तितलियाँ
सुनती हैं इन्हें।

हमारे भाव
पत्ते हैं
प्रफुल्लित हो जाते हैं कभी।

सिकुड़ते और मुर्झाते भी हैं
चिनार के लाल
पत्तों की तरह।

धरती पर गिरकर
समेटे जाते‚
सुलगाकर उनके अंगारों से
गर्मी मिलती है
अंजान लोगों को
ठिठुरती सरदी में।