भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वह युवा महिला / सेरजिओ बदिल्ला / रति सक्सेना
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:03, 2 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सेरजिओ बदिल्ला |अनुवादक=रति सक्स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
अधजली मोमबत्ती की रोशनी में
युवा महिला की लापरवाह फुसफुसाहटें मेरी हैं
उस गप्पबाजी को कैसे बयान करें
तारों की भगौड़ी दमक के सामने
जब कि अटारी में से परियाँ चुपचाप उड़ रही थीं
और नवीन चंद्र भुनगों को सम्मोहित कर रहा था
ऐसे में उस अजीब सी मोमबत्ती की रोशनी में
चल रही चटर पटर को कैसे बयान करें
कोहरे की सीधी चट्टान
आकस्मिक आवेग
रात नदी में फिसल रही थी