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राधा-माधव-पद-कमल बंदौं बारंबार / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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राधा-माधव-पद-कमल बंदौं बारंबार।
मिल्यौ अहैतुक कृपा तें यह अवसर सुभ-सार॥
दीन-हीन अति, मलिन-मति, बिषयनि कौ नित दास।
करौं बिनय केहि मुख, अधम मैं, भर मन उल्लास॥
दीनबंधु तुम सहज दोउ, कारन-रहित कृपाल।
आरतिहर अपुनौ बिरुद लखि मोय करौ निहाल॥
हरौ सकल बाधा कठिन, करौ आपुने जोग।
पद-रज-सेवा कौ मिलै, मोय सुखद संजोग॥
प्रेम-भिखारी पर्यौ मैं आय तिहारे द्वार।
करौ दान निज-प्रेम सुचि, बरद जुगल-सरकार॥
श्रीराधामाधव-जुगल हरन सकल दुखभार।
सब मिलि बोलौ प्रेम तें तिन की जै-जैकार॥