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पातर तिरिया हो मन ना भावे / भोजपुरी

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पातर तिरिया हो मन ना भावे,
हम तो जइबों मोरंग देसवा, दोसरे बिआह करे रे।।१।।
जाहु तुहूँ जइब सइयाँ दोसरे बिआह करे हे,
हमहूँ गोहने लागी जइबों कि तोहरी बिआह देखे हे।।२।।
जाहु तुहूँ जइबू धनिया हमरो बिआह देखे हो,
धनिया, हँसिहें नगरिया के लोग, त लोकनी कहइबू नू हे।।३।।
हाँ रे, जाहु तुहूँ जइब सइयाँ हे दोसरो पँयेत बिआह करे हे,
नेंवतब में कारी रे बदरिया त तहरो पँयेत भिंजिहें हे।।४।।
कतनो तू धनिया हे बादर गोहरइबू,
ते ओढि़ लेबों कारी रे कमरिया अउरी छलिया झालर हे।।५।।
आऊ-आऊ कारी बदररिया, तोके देबों लाली चदरिया,
आजु के रइनिया झरि लाऊ दे कि सइयाँ के पँयेत भींजे हे।।६।।
बुनिया परेले घहराई कि राजा कुँअर घरे लौटे हो,
हाँ रे, आई नू अँगनवाँ भइले ठाढ़ न धनिया जगावेले हो।।७।।
सूतल बारु कि जागल धनिया,
कि खोलू धनिया बजर केंवाड़ कि राजा कुँवर घरे लौटे हे।।८।।
दूर होखू कुकुरा रे, दूर रे बिलरिया,
दूर होखू नगरी के चोर, पिया परदेसे गइले हे।।९।।
नाहीं हम आहे धनिया कुकुरा-बिलरिया,
नाहीं त नगरिया के चोर, त राजा कुँअर घरे लौटे हो।।१0।।
हाँ रे, दियवन तेल नाहीं बोरसिन आगी,
कि ओरिया के पनिया गोर धोहू कि सूतहू भँसउली घरवा हे।।११।।
हाँ रे, सुखकर बेरिया धनिया दुख बोलिया बोल,
कि अउरी बोल गरमी के बोलिया कि राजा कुँअर घरे लौटे हो।।१२।।
हाँ रे, दियवा में तेल-बाती, बोरसी में आगि बारे,
गगरा के पानी गोर धोहू कि सूतहू पलंगिया चढि़ हे।।१३।।