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परबत ऊपर माई नदी बहे हे / भोजपुरी

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परबत ऊपर माई नदी बहे हे तरे बहे शीतली रे बयार;
हाँ रे, जेकरहीं घरवा माई नया कामिनी, सेहो परदेस कइसे जाई।।१।।
हाँ रे, जेकरहीं घरवा माई नदी बहे, सेहो कइसे कुँइअवा नहाय;
जेकरहीं घरवा लाली हो पलंगिया, सेहो कइसे धुरिया हो लोटाय।।२।।
अम्मा के दुलारी मोके देले केंचुली, केंचुली धुमिल होई जाई रे;
कि बाबा के दुलारी मोके देले पगिया, कि बन्हलों में सिंगरा चढ़ाई।।३।।
भीरी जनि सूतहु बिअहुआ कि लगिहें कजरवा के रेह हे।।४।।