भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हो मइया प्रात में हंकार हे / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:55, 21 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हो मइया प्रात में हंकार हे, हंकार हे, हंकार हे, हो मइया प्रात में हंकार हे।।१।।
हाँ रे, एक रइनी में चनरमा हे, हाँ रे दिनन में सूरज हे,
हाँ रे, दिनन में सूरुज......................हे मइया प्रात में हंकार हे।।२।।
हाँ रे, एक देवन में महादेव छु, भगत में लछुमन हे, मइया प्रात में हंकार हे।।३।।
हाँ रे, एक सतीन में सिया जानकी, हाँ रे नारिन में गउरा पारबती,
हाँ रे, नारिन में गउरा पारबती, मइया प्रात में हंकार हे।।४।।
हाँ रे, प्रीतम प्रीत में सन्त जना, ए दूजे लपटि रही कपटी कन्हैया,
दूजे लपटी रही कपटी रे कन्हैया।।५।।
हाँ रे, सरजू किनारे अजोधा नगरी, दूजे खड़ी महराज,
ए गोखुला नगरी, ए दूजे खड़ी महाराज।।६।।
हाँ रे, आज कन्हैया गृह आवेगा, दूजे बंसी के टेर सुनाइ हे,
दूजे बंसी के टेर-दूजे बंसी के टेर।।७।।