भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सकती बन लगे लछुमनजी के / भोजपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:58, 21 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सकती बन लगे लछुमनजी के, कोमल गात, उमिरिया के थोरी।।१।।
जो कोई बीर राम के दल में, भाई हो भरतजी के खवर हो जनाई।
हो विधि भइले ए बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।२।।
गिरि धवला पर मूल सजीवन, फेड़-फेड़ पर दीपक जराई।
विधि भइले बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।३।।
केथिकर सिलवट, केथिकर लोढ़े, कूंचि-कांचि लछुमन के पिआई।
विधि भइले बाम, बिछुड़ि गइले जोड़ी।।४।।
सकती बान लगे लछुमन के, कोमल गात उमिरिया के थोरी।।५।।