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कथिए के टंगिया रे केचुल / भोजपुरी
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कथिए के टंगिया रे केचुल, कथी लागे बेंटवा से,
ए होचली रे भेल मेझली के बनावाँ।।१।।
ऊपरा निहरले रे केंचुल, ऊपरा निहरले रे केंचुल, तारा मारे छेटरी।
ए हो बीच रे गेड़ा खम्हिया उड़ाय, ए हो खम्हिया उड़ाय।।२।।
एक खम्हा गइले रे केंचुल लाग री गोरखपुर,
एहो, दूजे खम्हा देस चउपारन।।३।।
कथी कइ लरही रे केंचुल, कथी कइ लरही रे केंचुल, कथी लागू बतिया री।
एहो, कथी कर परबीया छाजनी छावले।।४।।
सोने कर लरही रे केंचुल, रूपे लागे बतिया रे।
ए हो, मजुरा के परबीया छाजनी छावले।।