भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हाँ रे, मचिया बइठल रानी जसोदा / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:36, 24 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाँ रे, मचिया बइठल रानी जसोदा, त मन में गुनान करे ए
ललना धीरे-धीरे देह पियरइले, सरीर भइले भारी नु ए।।१।।
हाँ रे, हाँ रे, चेरिया लउरिया त तुहुँ जाहु नु ए
चेरिया चलि जाहु राजा के बंगलवा, तू खबरी जनावहु रे।।२।।
हाँ रे, दउरल चेरिया लउरिया, त राजा के बंगलवा नु हो
राजा तोर धनि बेदना बेआकुल, खबरी पेठावेली ए।।३।।
हाँ रे, बंगला बइठल राजा नन्द राजा, मनवाँ में खुश होले ए
ललना जवने घड़ी पुत्र जनमिहें, त अनन मनाइब रे।।४।।
हाँ रे, एक घड़ी बीतले दूसर घड़ी, अउरो तीसर घड़ी ए
ललना घने घड़ी होरिला जनमले, महलिया उठे सोहर ए।।५।।
हाँ रे, केथिये के ओढ़न-डांसन, केथिए कापड़ ए
ललना केथिए के जरो पसंगिया, महलिया उठे सोहर ए।।६।।
हाँ रे, रेसमे के ओढ़न-डांसन, रेसमे के कापड़ ए
ललना अगरे के जरेला पसंगिया, महलिया उठे सोहर ए।।७।।
हाँ रे, छोटी रानी दउरे से बड़ी रानी, अउरो माझिल रानी ए
ललना दउरेली नगरी के सखिया, महलिया उठे सोहर ए।।८।।
हाँ रे, केथिए से अँगना लियावल, केथी छितरावल ए
ए ललना केथिए के बनेला सिंगार, महलिया उठे सोहर ए।।९।।
हाँ रे, चनने से अँगना लिपावल, फूल छितरावल ए
ललना मोतिए के बनेला सिंगार, महलिया उठे सोहर ए।।१0।।