भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाँ रे, नार काटू, धांगरिन / भोजपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:43, 24 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
हाँ रे, नार काटू, धांगरिन, धांगरिन नाहीं काटे हो
धांगरिन बोलेले गरभिया के बोलिया, त सुनु रानी जसुदा नु हे।
हमरा के देहु रानी अन-धन, अउरो हार मोतिया नु ए
रानी अउरी देहु लहरा-पटोर, तबहिं नार काटबि ए।।२।।
हाँ रे, लेहु-लेहु आरे धांगरिन अन-धन, अउरो हार मोतियन के ए
धांगरिन अउरो लेहु लहरा-पटोर, खुशीए नार काटहु ए।।३।।
हाँ रे, केथीकर खुरुपी-हंसुअवा, केथीए कर बेंटवा नु हे
ललना नार काटे कवन रंग धांगरिन, गावेली सोहर ए।।४।।
हाँ रे, सोनेकर आरे हउवें खुरुपी, रूपे लागे बेंटवा नु हे
हाँ रे, नार काटे सांवर धांगरिन, गावेली सोहर ए।।५।।