भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शहर में किसान / राजा खुगशाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:15, 29 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजा खुगशाल |अनुवादक= |संग्रह=सदी ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

(किसान रैलियों के संदर्भ में)

गेहूँ और गन्नेम के भाव-ताव को लेकर
वह साल में एक-आध बार
आता है शहर

शहर में वह
पहले दिन जुलूस में
और दूसरे दिन अखबार में होता है

शहर की दीवारों पर
इश्तकहार-सा चिपकाकर अपना चेहरा
वह गाँव लौट जाता है
तीसरे-चौथे दिन।