भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनों से शोभित / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:59, 6 जनवरी 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
नव-पल्लव सुगन्ध-सुमनोंसे शोभित वृक्ष-लता सपन्न।
होता जहाँ, वायु शीतल-सुरभित-सुमन्दसे सुख उत्पन्न॥
यमुना-पुलिन सुवासित सुन्दर रहता सदा एक शुभ ओर।
वृन्दा-विपिन-वीथियोंमें उन विचर रहे व्रजराज-किशोर॥