बटाऊ! वा मग तैं मति जइयो।
गली भयावनि भारी, जा में सबरौ माल लुटइयो॥
ठाढ़ौ तहाँ तमाल-नील इक छैल-छबीलौ छैयो।
नंगे बदन मदन-मद मारत मधुर-मधुर मुसकैयो॥
देखन कौं अति भोरौ छोरा, जादूगर बहु सैयो।
हरत चिा-धन सरबस तुरतहिं, नहिं कोउ ताहि रुकैयो॥
बटाऊ! वा मग तैं मति जइयो।
गली भयावनि भारी, जा में सबरौ माल लुटइयो॥
ठाढ़ौ तहाँ तमाल-नील इक छैल-छबीलौ छैयो।
नंगे बदन मदन-मद मारत मधुर-मधुर मुसकैयो॥
देखन कौं अति भोरौ छोरा, जादूगर बहु सैयो।
हरत चिा-धन सरबस तुरतहिं, नहिं कोउ ताहि रुकैयो॥