भूल जाना मुझे
अवश्य भूल जाना
एक पल के लिए भी यदि अच्छा लगे
भूल जाना मुझे ।
भूल जाना
अन्धियारे तायगा के झोंकों की तरह
इन झोंकों के प्रति हमारी विवशता की तरह ।
भूल जाना मुझे
जैसे भुलाया जाता है अपने आपको
और भूल जाने पर भी
हम होते हैं जो हैं वास्तव में ।
भूल जाना मुझे
आग की चमक ही तरह
जिसकी लपटों ने झुलसाया तुम्हें,
डराया अपनी गरमाहट से
और घेरे रखा शीत के भय से ।
भूल जाना मुझे
जैसे भुला दी जाती है
अँधेरे जंगल से गुजरती रेलगाड़ी
जिसकी दहकती खिड़कियाँ
दस्तक नहीं देतीं स्मृतियों पर ।
हिम्मत रखना, सोचना --
मैं जैसे रहा ही न हूँगा इस संसार में
यह इतने महत्व का नहीं,
बस, तुम देखते रहना
चिन्तित और आर्द्र,
बने रहना युवा, बिकना नहीं किसी के हाथ ।
पर, न भूलने का अधिकार प्राप्त है उन्हें
जिन्हें भुला दिया गया है
कैसे सपने देखेंगे जीवित लोग
निर्भर करता है मृतकों पर ।