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पेश-ओ-पस / फ़रहत एहसास

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उसके आगे सन्नाटा है
वो काला है
उसके पीछे इक चेहरा है
वो प्यारा है
वो अपनी पीठ पर अपनी आँखें बांधे जाता है
एक पाँव आगे की जानिब
दूसरा पीछे जाता है