अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो
- हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
- यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
- किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
- ऎ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो