राधा से भी लगता मुझको अधिक मधुर प्रिय ‘राधा’ नाम।
‘राधा’ शब्द कान पड़ते ही खिल उठती हिय-कली तमाम॥
मूल्य नित्य निश्चित है मेरा-’प्रेम-प्रपूरित राधा-नाम’।
चाहे जो खरीद ले, ऐसा मुझे सुनाकर राधा-नाम॥
नारायण, शिव, ब्रह्मा, लक्ष्मी, दुर्गा, वाणी मेरे रूप।
प्राण-समान सभी प्रिय मेरे, सबका मुझमें भाव अनूप॥
पर राधा प्राणाधिक मेरी, अतिशय प्रिय, प्रियजन-सिरमौर।
राधा-सा कोई न कहीं है मेरा, प्राणाधिक प्रिय और॥
अन्य सभी ये देव-देवियाँ बसती हैं नित मेरे पास।
प्रिया राधिका का है मेरे वक्षःस्थल पर नित्य निवास॥