Last modified on 6 मार्च 2014, at 18:51

सुमधुर स्मरण तुहारा-मेरा बना / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:51, 6 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार |अनुवादक= |स...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुमधुर स्मरण तुहारा-मेरा बना आजकल पूरा जीवन।
पलभर बिना तुहारे रहना नहीं मानता है मचला मन॥
जाग्रत्‌‌-स्वप्न-सभीमें, राधे! भरी सदा रहती तुम अंदर।
बना तुहारे लिये मधुर यह मेरा अति सुखमय मन-मन्दिर॥
रहती सदा बसी तुम इसमें, निज अधिकार पूर्ण इसपर कर।
क्षण-क्षणमें नव-नव सुख देती मुझको, राधे! परम मधुरतर॥
मधुर, मधुरतम मिलन तुहारा नित्य बना रहता है प्रतिपल।
परम पवित्र भाव-मुख-दर्शन कर मैंने पाया वाछित फल॥