भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बच्चे-4 / भास्कर चौधुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:01, 9 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बच्चे रोते हैं चीख-चीख कर
दहाड़े मारकर
भींगे होते हैं दोनों गाल
पलकें
नाक
 
बुजुर्ग रोते हैं तो
उनके आँसू गालों को गीला नहीं करते
किसी को दिखाई नहीं पड़ती
चश्में की मोटी काँच के पीछे
झिलमिलाती आँखें
सुनाई नहीं पड़ती कोई आवाज़...