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अहसास से / प्रेमशंकर रघुवंशी
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ना तो
मेरी आत्मा का
रूप हो
ना कर सकता
सर्वस्व
समर्पित
फिर भी
अधूरा हूँ
तेरे बिन
पूरा हूँ ख़ुद में
अहसास से
तेरे !!