Last modified on 12 मार्च 2014, at 15:01

अब के सावन में शरारत / गोपालदास "नीरज"

Gayatri Gupta (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:01, 12 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोपालदास "नीरज" |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई |

आप मत पूछिये क्या हम पे 'सफ़र में गुज़री ?
आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई |

हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको
एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई |

मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई |