Last modified on 24 मार्च 2014, at 13:51

फेर ओ कहलनि / मन्त्रेश्वर झा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 24 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मन्त्रेश्वर झा |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

फेर ओ कहलनि
अहाँ शिकायत नहि करू
मरैत अछि सभ क्यो
अहूँ मरब तऽ मरू
डिबिया सँ अन्हार नहि मेटायत कयिों
सूर्य हम, टेमी बनि
अर्ध्य टा करू
हमरे चेहरा बुझू अपनो चेहरा
दर्पण मे देखि
मोन छोट ने करू
सपना गढ़ि देखब से मना नहि करब
जगला पर बन्धुआ सन कर्म टा करू
पड़ायब से रस्ता नहि चक्रव्यूह सँ
बचायब अछि प्राण तकर ध्यान टा करू
फेर ओ कहलनि अहाँ तोतरायब कथि ले
बाजू नहि चुप्प रहू, मरब तऽ मरू
फेर ओ कहलनि
अहाँ शिकाइत नहि करू
मरैत अछि सभ क्यो
अहूँ मरब तऽ करू
फेर ओ कहलनि...