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गजल / मन्त्रेश्वर झा
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धर्म करब, उपवास करब आ करब घमर्थन
धन्य अहाँ छी धन्य भेल सभ
जुलुम तकै छी
नाम छुटल जे गाम छुटल नगरक डग धयलहुँ
चौके चौक बताह भेल
पहिचान तकै छी
एक नजरि कनियांके देखब
मोन पड़ै अछि
नव वनवास उदास भेल
मृगस्वर्ण तकै छी
नीतिशास्त्र तऽ पढ़ल राजनीति नहि सिखलहुँ
कोनो अवंडक मंगलमय अभिमन तकै छी
मन्त्रेश्वर सभ मन्त्र जपल
बुझलहुँ नहि किछुओ
उनटा पुनटा द्वन्द्व पड़ल
मतिशान तकै छी